आइये आज ऐसे अनोखे नाम वाले कुछ पढे लिखे नवजवानों से आपको अवगत कराते हैं जिनके नाम सुनने के बाद शायद ही आप अपनी हँसी रोक पाएंगे | सच पूछिये तो पहली बार जब मैंने सुना था तो ठहाके लगाकर हँस पड़ा था | इन नौजवानो ने अपने नाम कुछ इस तरह रखे हैं : सरकारी जुम्मन , जवानी-कुर्बान जुम्मन , गुलामी-गैंंग जुम्मन ,खानदानी-गुलाम , जमहुरा -जुम्मन ,चाचा कुरदोगलों , जुम्मानों की आपा ,दरी बिछाओ गैंंग और भी नाम हैं लेकिन इस लेख के लिए इतना काफी है |
पिछले कुछ महिनों से Twitter space पर एक अलग ही तरह का space ट्रेंडिंग चल रहा है और इस space मे एक ही तरह कि फोटो लगाए हुये सभी Members भावुक अंदाज मे रोना और विलाप करके भारत मे मुसलमानों के राजनीतिक अछूतेपन को बताते हैं | सभी मेम्बर्स ने अपने समाज के राजनीतिक अछूतपन को दिखाने के लिए नाम भी अनोखे रखे हैं | किसी का नाम गुलामी जुम्मन तो किसी का नाम खानदानी ग़ुलाम, एक खुद को जमहुरा जुम्मन कहता है तो एक का नाम जवानी कुर्बान जुम्मन है |
Daribichaogang इसी नाम के सहारे कुछ नौजवानों ने एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी अपने कंधों पर संभाली है। उस ज़िम्मेदारी का नाम है “मुस्लिम समाज मे राजनीतिक जागरूकता लाना” |
https://daribichaogang.com/
Daribichaogang के Twitter प्रोफ़ाइल में जाकर देखने से, ढ़ेरों memes तथा मज़ाकिया टिप्पणिया देखने को मिलती है और हर एक पोस्ट का मक़सद सिर्फ यही रहता है कि व्यंग के सहारे मुस्लिम समाज को यह एहसास दिलाया जाए कि तथाकथित सभी राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम समाज को राजनीतिक अछूत बना दिया है | एक दिन मैं स्वयं इनके एक टिवीटर स्पेस मे पहुँच गया जहा पर सभी मेम्बर्स किसी मीडिया हाउस को अपना इंटरव्यू दे रहे थे अपने अपने सवालों के जवाब मे भी व्यंग का भरपूर इस्तेमाल कर रहे थे
इंटरव्यू मे daribichaogang.com ने सबको बताया कि भारत कि राजनीति मे दरी बिछाना सभी मुसलमानो का खानदानी काम रहा है और इसके लिए मुनासिब मजदूरी भी मिलती रही है| दरी गैंंग वाले आगे बोलते हुये कहने लगे कि हर एक वो पार्टी जो खुद को सेकुलर कहती है वो हमेशा से ही मुसलमानो को सिर्फ दरी बिछाने के लिए रखती है चाहे वो कोई भी पार्टी हो | मुस्लिम समाज के अंदर पिछड़ापन का सबसे बड़ा कारण यह है उन्हे राजनीतिक अछूत समझा जाता है |उन्हें एक वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जाता है | एक ऐसा मुफ्त का वोट बैंक जिसके बल पर सरकारे तो बनाई जाती हैं लेकिन उनके मुद्दों को हल करना तो दूर, मसलों को पूछने तक कि जरूरत नहीं समझते है | और ऐसा करने के लिए सभी तथाकथित सेकुलर पार्टियां किसी एक दूसरे पार्टी का खौफ दिखाती है या कहती है कि अगर मुसलमानों ने उन्हे वोट न दिया तो संविधान खतरे मे आ जाएगा
आप इनकी वैबसाइट daribichaogang.com पर भी जाकर व्यंग से भरपूर Memes और लेख पढ़ सकते हैं | दरी गैंग के सदस्य कहते है कि जब भी चुनाव का समय नजदीक आता है तो ये सभी तथाकथित सेकुलर पार्टी इन सभी जुम्मन को ढूंढ ढूंढ कर अलग अलग तरह के काम लेती है जैसे कि दूसरी पार्टी के लिए कुर्सी टेंट तथा माइक लगाना , साथ ही कुछ जुम्मन ऐसे भी है जिन्हे इस गैंग मे दलाल जुम्मन कहा जाता है और इनका काम होता है किसी एक पार्टी कि दलाली करना और पूरे क़ौम को election मे गुमराह कर देना | इनाम के तौर पर कभी कभी इन सभी जुम्मन को बिरयानी की दावत दे दी जाती है और इसी मे सब जुम्मन अपनी पूरी जवानी कुर्बान करने को तैयार हो जाते हैं
दरी गैंग से जब दूसरा सवाल यह किया जब वे लोग मुस्लिम लीडरशिप की बात करते हैं तो एक बात बार-बार आती है कि इस से फिरका परस्त ताकतें मजबूत होती है इसके जवाब मे किसी एक जुम्मन मेम्बर ने यह जवाब दिया कि 70 सालों से उत्तर भारत के मुसलमान ने लगभग हुमेशा ही अपना वोट सेकुलर पार्टियों को दिया है उसके बाद भी यहा यहाँ फ़िरक़ा परस्त ताकतें कैसे मजबूत हुई? वही दक्षिण भारत, जहां थोड़ी बहुत मुस्लिम लिडरशिप डेवलप हुई है जैसे कि तमिलनाडु में मुस्लिम लीग और आंध्र में मजलिस तो इन जगहों मे फिरका परस्त ताकतें हमेशा कमजोर रही
एक अन्य मेम्बर ने और अच्छे से सभी को समझाते हुये यह बताया कि अक्सर ये भी सवाल यह होता है कि हम दरी बिछाने वाले लोग किसी सेकुलर पार्टी के मुस्लिम कैंडिडेट को जीत दिलाये तो ज्यादा फायेदा होगा | व्यंगात्मक जवाब के लहजे मे दरी वाले कहने लगे कि इस बात को समझने के लिए आसान सा उदाहरण उत्तर प्रदेश में 70 मुस्लिम विधायक के रूप मे मिलता है | जब मुजफ्फरनगर का दंगा होता है 70 के 70 मुस्लिम विधायकों के जबान काट के उनके तथाकथित सेकुलर आका अपने पास रख लेते हैं शायद इसी वजह से वह बोल नहीं सके| और चूंकि जब कुछ बोलेंगे नहीं तो झगड़ा फसाद आगे नहीं जाता तो इसमे क़ौम का ही फायेदा हुआ |
अभी हाल ही में अखिलेश यादव की रैली के मंच से हाजी साहब को मंच से धक्के देकर नीचे उतारा गया था इस पर व्यंगात्मक टिप्पणी करते हुये गुलामी नाम से मशहूर मेम्बर ये कहते हैं कि असल मे हाजी साहब को धक्का नहीं दिया गया बल्कि वो जो स्टेज पर धारदार तलवार थी उस से हाजी साहब का हाथ कट सकता था इसलिए उनकी भलाई के लिए उन्हे धक्का देकर स्टेज से भागा दिया गया |
एक अगला अजेंडा जब दरी गैंग के सामने रखा गया कि निजामाबाद के 4 बार से लगातार विधायक आलम बदी साहब को अखिलेश यादव के साथ मंच पर स्टूल पर बैठा देखा गया तो इसके जवाब मे दरी गैंग वाले कहते हैं कि हम सभी जुम्मन के लिए तो ये फख्र कि बात है , इतना कहते हुये दरी गैंग वाले ज़ोर ज़ोर से रोते हुये कहने लगे कि आज तक तो सभी ने हमलोगो को सिर्फ दरी बिछाने वाला ही समझा लेकिन भैया ने तो हमे स्टूल पर बैठा कर इतना ज्यादा सम्मान दिया | उनकी सिर्फ इस इज्ज़त-नावाजिस पर तो दरी गैंग के सभी लोग अपनी पूरी जवानी और जिंदगी कुर्बान करने को तैयार हैं
सवाल जवाब के दौरान किसी ने दरी बिछाओ गैंग से ये सवाल किया 7 प्रतिशत वाले यादव मुख्यमंत्री बन सकता है तो 19 प्रतिशत वाला मुसलमान मुख्यमंत्री क्यों नहीं हो सकता , इसके जवाब मे दरी बिछाओ गैंग के तरफ से पूरी डीटेल मे बताया कि कुर्सी पे बैठने से सभी जुम्मानों को गुदगुदी होता है इसलिए ये तो सवाल ही पैदा नहीं होता की जुम्मन कुर्सी पे बैठे । सबसे अच्छा ऑप्शन है कि अपनी खुद कि कायदत को भूलकर दरी बिछाने का फायेदा समझा जाए , क्योकि वक़्त वक़्त पर अफ़तार पार्टी की दावत भी मिलती है और बिरयानी की दावत भी मिलती रहती है
भले ही दरी बिछाओ गैंग की बातें व्यंग तथा मज़ाक से भरी हुई है लेकिन इस अनोखे अंदाज का इस्तेमाल करके ये सभी नौजवान उन सभी दुखों को दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं जो की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम समाज को दिया है | ये सभी नौजवान उम्मीद करते है की उनके इस छोटे से प्रयास से समाज मे एक राजनीतिक चेतना आएगी और फिर इनका समाज स्वय ही सही फैसले कर पाएगा | दरी गैंंग के नौजवान, अपने वैबसाइट Daribichaogang तथा यूट्यूब पर अपने व्यंगात्मक कंटैंट से इस बात की उम्मीद रखते हैं कि कम से कम उनके इस प्रयास से सभी लोग इतना तो जागरूक हो सकेंगे कि अपने लिए आवाज उठा सके वरना अभी तक का तो ये हाल है कि कोई पार्टी इन्हे पूछती तक नहीं है |
प्रत्येक शनिवार को इस daribichaogang.com के मेम्बर्स एक अलग अंदाज का रोना विलाप करते हुये टिवीटर के माध्यम से राजनीतिक चेतना जगाने कि कोशिश मे लगे हैं , परंतु अब ये कितने सफल होंगे यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा |
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