फितना और फसाद! क्या यह दज्जाल के आने की शुरुआत है?
आज के दौर में जो फितना फसाद फैला हुआ है, या सच पूछिए तो फैलाया गया है, उसको अच्छे से समझने के लिए हम लोगों को अपने दीन की तरफ वापस लौटना होगा। आज चारों ओर नफरत और मार-काट का माहौल फैला हुआ है, और ऐसी बुराई फैलाने वाले लोगों को भी अच्छी बात बात समझ नहीं आ रही। ऐसा लग रहा है इंसानों की बस्ती में इंसान ना रहे और चारों ओर सिर्फ हैवान फिर रहे।
यह वही लोग हैं जिनके बारे में कुरान के सूरह बकरा में अल्लाह फरमाता है
“जब उनसे कहा जाता है कि जमीन में फसाद न फैलाओ, तो वे कहते हैं कि हम लोग तो अच्छाई फैलाने वाले और सवांरने वाले लोग हैं, जबकि वही लोग फसादी हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं” (कुरान 2:11)Advertisement
हम लोग बचपन से हीं किताबों में पढ़ते आए हैं कि इस दुनिया में सबसे बड़ी मुसीबत जो इस कौम पर आएगी वह दज्जाल का फितना होगा। दज्जाल का मतलब होता है झूठा। अल्लाह के रसूल ने यह खबर दी कि दज्जाल के फितने के वक्त इस दुनिया का माहौल बहुत खराब हो जाएगा। लोग सच को झूठ कहेंगे और झूठ को सच। अच्छे इंसान को मारा पीटा जाएगा और बुराई करके खुशियां मनाई जाएगी। दज्जाल इतना बड़ा फरेबी और झूठा होगा कि अपने एक हाथ में जन्नत लेकर चलेगा तो दूसरे हाथ में जहन्नम लेकर चलेगा। वह दज्जाल खुद को खुदा कहेगा।जो इंसान भी उस उस फरेबी को खुदा मानने से इनकार करेगा तो दज्जाल उसे मारेगा पिटेगा और अलग अलग तरह से तकलीफ देगा और दिखावटी जहन्नम में डाल देगा ।
पहले यह बातें पढ़ कर हम लोग यह सोचा करते थे कि ऐसा कैसे होगा जब लोग इतने बेवकूफ हो जाएंगे, सच को सच नहीं समझ पाएंगे? लेकिन आजकल जो झूठ का माहौल हर तरफ फैला हुआ है उसे देखकर तो सचमुच यकीन हो गया है कि यह सारा फितना और फसाद उस बड़े दज्जाल के आने से पहले की तैयारी में है।
जब वह बड़ा दज्जाल आएगा तब भी उसका मुकाबला ईमान वाले करेंगे, और आज भी इस छोटे दज्जाल का मुकाबला ईमान वाले ही कर रहे हैं।
वह बड़ा दज्जाल भी कहेगा कि मुझे खुदा मानो तो जन्नत में रखूंगा , नहीं तो तुम्हें जहन्नम में डाल दूंगा, और आज यह छोटा दज्जाल भी यही कह रहा है कि मुझे मानो तो इस देश में रहने दूंगा नहीं तो डिटेंशन सेंटर में डाल दूंगा।
उस बड़े दज्जाल के मानने वाले भी चारों तरफ फितना और फसाद फैलाएंगे, और इस छोटे दज्जाल के पैरोकार भी चारों ओर मार-काट और फसाद फैला रहे हैं।
ईमान वाले उस बड़े दज्जाल के माथे को देखकर पहचान जाएंगे और इस छोटे दज्जाल को भी ईमान वाले अच्छी तरह से पहचान रहे हैं।
सरकार-ए-दो-आलम (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने यह हुक्म दिया है कि दज्जाल के फितने से घबराना नहीं है। उस झूठे दज्जाल का डटकर मुकाबला करना है। तो आज के हालात को देखकर इतना ईमान रखिए कि जिस तरह हम लोग उस बड़े दज्जाल पर गलबा पाएंगे उसी तरह इस छोटे दज्जाल पर भी हमारी ही जीत होगी।
उस बड़े दज्जाल के फितने से बचने के लिए कुरान के सुरह कहफ़ की तिलावत करने को कहां गया है।
कुछ हदीसों में आया है कि जिसको भी सुरह कहफ की पहली 10 आयत हिफ़्ज रहेगी, उस पर दज्जाल का फितना असर नहीं कर पाएगा।
आखिर क्या लिखा हुआ है सुरह कहफ की आयतों में?
इन आयतों में उस कहानी का जिक्र है जब एक जुल्म करने वाला बादशाह अपने रियासत के लोगों को जबरन अल्लाह को भूलने को कह रहा था। उस बादशाह के जुल्म के डर से अक्सर लोग सच्चे रास्ते को छोड़ने को तैयार हो गए थे। फिर कुछ नौजवानों ने उस जमाने का मोर्चा संभाला। उन नौजवानों ने लोगों को राहे हिदायत दिखाने की कोशिश की। इस बात से नाराज होकर उस जुल्मी गुमराह बादशाह ने उन नौजवानों को सजा-ए-मौत दे दी।
सुरह कहफ में उन नौजवानों की कहानी बताते हुए अल्लाह फरमाता है कि क्या तुम्हें मालूम है जब वे नौजवान (जुल्म से बचने के लिए भागकर ) गुफा में पनाह लिए और दुआ की ऎ हमारे रब! हमें अपने पास से रहमत दे और हमारे काम में कामयाबी दे।
फिर अल्लाह ने उन नौजवानों को सुकून की नींद दी और वे लोग ना जाने कितने साल तक सोते रहे। इसी बीच वह जुल्मी बादशाह हलाक और बर्बाद हो गया। उन नौजवानों की तारीफ में अल्लाह कहता है कि वह कुछ नौजवान थे जो अपने रब पर ईमान ले आए थे और अल्लाह ने उनकी सोच समझ और ज्यादा कर दी। यही नहीं अल्लाह ने उनके दिलों को मजबूती दी ताकि वह उस जुल्मी बादशाह के सामने हिम्मत से खड़े होकर बोल सकें।
आज के दौर में भी इस छोटे दज्जाल से मुकाबले के लिए कुरान की यह आयतें हमें रास्ता दिखा रही हैं। अब बारी हमारे जमाने के नौजवानों की है कि वह लोग इस छोटे दज्जाल के खिलाफ मोर्चा संभाले। अल्लाह ने हम लोगों को और खासकर हमारे नौजवानों को यह मौका दिया है कि हम झूठ और फरेब के खिलाफ आवाज उठा सके। और इतना तो सब जानते हैं कि हक और बातिल की लड़ाई में, कामयाब हमेशा हक ही होता है।
अफसोस सिर्फ इस बात का है कि कामयाबी का रास्ता मालूम होने के बाद भी हम लोग न जाने कहां कहां भटकते फिर रहे हैं। हम लोगों का हाल नूह अलैहिस्सलाम के उस नालायक औलाद जैसा हो गया है। जब अल्लाह का आजाब नाजिल हुआ और नूह अलैहिस्सलाम ने अपने उस बेटे को कश्ती में सवार होने को कहा तो वह कहने लगा कि जब पानी ज्यादा आएगा तो वह पहाड़ का सहारा लेगा।
उस नालायक ने अपने नबी का बताया रास्ता ठुकराया तो वह हलाक हो गया| जरा सोचिए अगर हम भी अपने नबी (सलातो व सलाम )के बताए रास्ते को छोड़ेगे तो क्या हमारा हाल भी वैसा ही हलाकत वाला नहीं होगा?