ये वीडियो देखिये इस से पहले की आपका पैसा भी बैंक में डूब जाये
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कैसे काम करता है बैंक का बिज़नेस ?
जब हम बैंक में पैसे जमा करते हैं तो ऐसा समझिये कि हमने बैंक को कर्ज़ा दिया जिसके बदले में बैंक हमें ब्याज़ देती है और हमारे जमा किये पैसे से बैंक अलग अलग तरह के लोन जैसे की होम लोन,पर्सनल लोन या फिर कम्पनी को लोन देती है और इस तरह ब्याज कमाती है |
इन सारे कमाए हुए ब्याज़ का थोड़ा हिंसा वो बैंक के जमाकर्ता को दे देती है और बचा हुआ सब बैंक का मुनाफा हो जाता है | मतलब ये हुआ कि बैंक जितना ज्यादा लोन देगी उतना बैंक का कारोबार बढ़ेगा | यही वज़ह है कि बैंक कुछ साल पहले तक अँधा धुंद लोन देने लगे थे |
वर्ष 2013 : सभी जानकारों को पता चल गया था की भारत में स्टील ,रियल स्टेट, और पावर के क्षेत्र में मंदी आ चुकी है और बहुत सारी कंपनी द्वारा लिया गया इस क्षेत्र का कोई भी लोन वापस नहीं हो सकेगा | सभी बैंक के मैनेजमेंट को भी ये बात पता थी लेकिन सभी से ये बात छुपाई गयी
अगर बैंक डूबेगा तो जमाकर्ता पर क्या असर होगा?
1962: जमाकर्ता के पैसे की सुरक्षा के लिए संसद एक्ट के द्वारा स्थपित हुआ Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC)
शुरुआत में बिमा की राशि सिर्फ 1050 रुपये थी जो धीरे धीरे बढाकर अभी 5 लाख तक कर दी गयी | मतलब ये हुआ कि अगर कोई बैंक डूबती है तो ज्यादा से ज्यादा 5 लाख तक ही बैंक ग्राहक को मिल सकेगा
रोचक तथ्य : 1969 से पहले तो बहुत प्राइवेट बैंक डूबे लेकिन 1969 के बाद कोई भी बैंक डूबने वाली होती है तो सरकार उसे बचा लेती है|
साल 1963 के बाद से अभी तक DICGC का फायदा सिर्फ को -ऑपरेटिव बैंक ले पाए हैं|
सरकारी बैंकों के पास सरकारी गारन्टी होता है (Sovereign Guarantee ) मतलब कि सरकारी बैंक के ग्राहकों को बैंक के डूबने का डर नहीं , जमा राशि सुरक्षा की गारन्टी खुद सरकार की होगी | लेकिन फिर भी DICGC में भी सरकारी बैंको को भी रखा गया है जबकि इसकी जरुरत ही नहीं |
आपको यह जानकर हैरानी होगी की पिछले साल के DICGC का बिमा प्रीमियम 12 हज़ार करोड़ था जिसमे लगभग 9 हज़ार करोड़ सिर्फ सरकारी बैंक द्वारा दिया गया जबकि DICGC का जरुरत सरकारी बैंक को है भी नहीं क्यूंकि उनके पास पहले ही सर्कार की सुरक्षा प्राप्त है
पंजाब महाराष्ट्र को ऑपरेटिव बैंक बंद होने के बाद क्या हुआ ?
भले ही बैंक ने अपना काम काज पहले ही बंद कर दिया लेकिन अभी भी सरकार ने उसके डूबने को लेकर अगला कोई कदम नहीं उठाया , मतलब ये हुआ कि बिमा की राशि भी ग्राहकों को अभी तक नहीं मिल पायी
क्यों बैंक डूब जाते हैं ?
जब बैंक के ज्यादातर लोन ख़राब हो जाते हैं और वापस नहीं हो पाते | कोई भी कंपनी जो शेयर बाजार में है , उसे अपना पूरा हिसाब किताब हर तीन महीने SEBI को देना होता है साथ ही अपने सालाना ब्योरे में हर एक खर्चा और मुनाफा दिखाना होता है | बहुत से डूबने वाली कम्पनी इन ब्योरे में झूठ बता कर नजर से बचने की कोशिस करती है | जैसा कि YES BANK के मामले में हुआ |
रिज़र्व बैंक की तरफ से भी कुछ ज्यादा ही छूट मिलने की वजह से ऐसे बैंक धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं |
सरकारी बैंको के पास भी बहुत से ख़राब लोन है फिर सरकारी बैंक क्यों नहीं डूबती है ?
सरकारी बैंक के आंकड़ों को देखा जाये तो पता चलेगा कि भले हीं उनका ख़राब लोन 80 हज़ार करोड़ है लेकिन उनका मुनाफा भी लगभग 1.5 लाख करोड़ तक है , इसका मतलब ये हुआ की सरकरी बैंक सिर्फ अपने मुनाफे से भी आसानी से ऐसे ख़राब लोन को झेल सकते हैं | और अगर सरकार सख्ती से ख़राब लोन वापस लेने का कानून बना दे तो सरकारी बैंक और भी फायदे में आ जायेंगे |
सरकार हर संस्था को प्राइवेट बनाने में जोर लगा रही है | क्या है इसके फायदे और नुकसान
सरकार भूल जाती है की सरकारी संस्था किसी भी सरकारी योजना को लागु करने का एक माध्यम होती है | जैसे प्रधानमंत्री जन धन योजना को देखिये | कुल 36 हजार करोड़ खाता खुला उसमे से 35 हज़ार करोड़ खता सरकारी बैंको में खोला गया | आज भी YES बैंक मामले में सरकारी बैंको को कहा जा रहा है कि वो YES बैंक को डूबने से बचाये |