किसी सरकार के एक साल के खर्चे के हिसाब से आमदनी में जो कमी हो जाती है उसे वित्तिय भाषा में राजकोषीय घाटा या अंग्रेजी में Fiscal Deficit कहा जाता है | कोई भी सरकार इस कमी (Fiscal Deficit) को पूरा करने के लिए अलग अलग प्रयास करती है |
अभी भारत पिछले 10 साल के सबसे बुरे आर्थिक मंदी से गुजर रहा है जहां GDPऔर भी नीचे आने की संभावना है | अमेरिकी अर्थशास्त्री स्टीव हेंक की मानें तो इस वर्ष 2020 में भारत को अपनी जीडीपी दर 5 भी रखने में बहुत मुश्किल होगी | वर्ष 2010 में भारत का GDP बढ़ कर 11.4 तक पहुँच गया था| इन सब परिस्थितियों में इस साल 2020-21 के बजट स्पीच में वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद को ये बताया कि सरकार इस साल एल.आई.सी(LIC) में से अपनी हिस्सेदारी बेच कर कम करेगी| हिस्सेदारी कम करने को वित्तीय भाषा में विनिवेश (Divestment ) कहा जाता है
पिछले साल भी सरकार ने 1.05 लाख़ करोड़ रुपये विनिवेश का प्रयास किया था जिसमे से अभी तक सिर्फ 18 हजार करोड़ ही पूरा हो सका | इस साल 2020 के बज़ट भाषण में 2.1 लाख करोड़ के विनिवेश का ऐलान किया गया है जो पिछले साल के मुक़ाबले दो गुना ज्यादा है | इस 2.1 लाख करोड़ में से 90 हज़ार करोड़ सरकारी बैंक और एल.आई.सी(LIC) में से हिस्सेदारी बेच कर तथा बचे हुए 1.2 लाख करोड़ सरकारी कंपनी की हिस्सेदारी बेच कर पूरी की जाएगी| एक ऐसा भी समय था जब सरकार के बुरे वक़्त में एल.आई.सी(LIC) डूबती हुई सरकारी कम्पनियों के शेयर ख़रीद कर उनको डूबने से बचाती थी जैसा कि आई.डी.बी.आई. बैंक मामले में हुआ लेकिन आज समय का वयंग देखिये सरकार इसी एल.आई.सी(LIC) का विनिवेश करने जा रही है
आख़िर कितनी ज्यादा बड़ी कम्पनी है एल.आई.सी(LIC)?
जुलाई 2019 तक के एक अनुमान के हिसाब से LIC का मूल्यांकन लगभग 31.11 लाख करोड़ रुपये है | ये कितनी बड़ी रक़म होती है इसका अनुमान ऐसे लगाया जा सकता है की बजट 2020 के हिसाब से पूरे भारत का शिक्षा पर खर्चा सिर्फ 99 हज़ार करोड़ रुपये है और देश रक्षा पर खर्चा सिर्फ 3.37 करोड़ है| इंस्युरेन्स बाज़ार में अकेले LIC की हिस्सेदारी लगभग 75 प्रतिशत है|
क्या LIC प्राइवेट हो जाएगी ?
नहीं , अभी सरकार की हिस्सेदारी LIC में पूरे 100 प्रतिशत की है , विनिवेश से सरकार इस हिस्सेदारी को कम करेगी | लगभग 10 प्रतिशत शेयर बेच देने से सरकार को 90 हज़ार करोड़ की आमदनी हो सकती है | विनिवेश के बाद भी सरकार की LIC में हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा रहेगी इसलिए इसके बाद भी LIC सरकारी कंपनी ही रहेगी |
LIC में बीमा रखने वालों पर क्या असर पड़ेगा ?
बीमा बाजार में इतनी ज्यादा प्रतिस्पर्धा के बाद भी LIC की पकड़ बहुत मजबूत है और अब शेयर मार्केट में नामांकित होने के बाद कामकाज़ की कुशलता और दक्षता और अच्छी हो जाएगी | संभावित रूप से LIC का मुनाफ़ा भी बढ़ेगा | अगर ऐसा होता है तो फिर बीमाधारकों को फ़ायदा मिलेगा|
लेकिन एक सावधानी रखने वाली बात ये रहेगी कि अभी तक LIC की पहली प्राथमिकता उसके बीमा धारक होते थे | लगभग हर केस में पालिसी क्लेम मिल जाता था, अब शेयर बाजार में नामांकित होने के बाद LIC पे दबाव रहेगा ज्यादा से ज्यादा मुनाफ़ा दिखाने के लिए, तो ऐसा हो सकता है की बीमाधारकों को अब उतनी प्राथमिकता नहीं मिल पाए। और ऐसा भी मुमकिन है कि LIC में बहुत से पालिसी क्लेम अस्वीकार कर दिए जाये जैसा की प्राइवेट इंस्युरेन्स कम्पनियाँ करतीं हैं|
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