चोर आपके स्मार्ट फ़ोन को हैक करके आपके बैंक से पैसे निकाल सकते हैं ! जानिए कैसे ?
var OneSignal = window.OneSignal || [];
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OneSignal.init({
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});
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इस आधुनिक टेक्नोलॉजी की दुनिया में सब कुछ सुरक्षित है तो साथ ही असुरक्षित भी! जानिए कैसे ?
आज आपका स्मार्ट फ़ोन कितना सुरक्षित है ? कहाँ ये आपको फायदा पहुंचाता है तो साथ ही कहाँ कहाँ नुकसान ?
आसान भाषा में जवाब ये होगा कि आज का स्मार्ट फ़ोन इस्तेमाल करने वाले को और भी स्मार्ट होने की जरुरत है | नहीं तो आपको पता भी नहीं चलेगा और आपकी प्राइवेट डाटा और सिक्योरिटी सिर्फ एक लिंक को खोलने से साइबर चोरों के चपेट में आ जाएगी |
आईये समझतें हैं कैसे ?
मान लीजिये कि आप व्हाट्सएप्प (WhatsApp ) पर दोस्त से एक मोबाइल ख़रीदने का चर्चा कर रहें हैं , जैसे कि किस कंपनी का मोबाइल लेना है ? कितना बड़ा मोबाइल का स्क्रीन होगा? किस रंग का मोबाइल अच्छा लगेगा ? इस पूरे बातचीत में “मोबाइल” शब्द बार बार आया है |
व्हाट्सएप्प (WhatsApp ) आपके बातचीत को छानकर “उस काम के जानकारी” को बेच देता है | यही वजह है कि उसके बाद आप अपने उसी मोबाइल में जब कुछ भी इंटरनेट पर खोलतें है तो बार बार मोबाइल खरीदने के लिए प्रचार या विज्ञापन दिखाई देने लगता है | अब एक साधारण इंसान ये सोचता है कि अरे वाह ! मैं तो अभी मोबाइल खरीदने की सोंच रहा था , फिर वह वैसे ही प्रचार वाले लिंक को क्लीक कर खोलकर देखता है| ठीक इसी तरह से किसी भी सोशल मीडिया साइट जैसे की फेसबुक ,टवीटर इत्यादि से आपका डाटा दूसरों तक पहुँचता है |
कुकीज़ और सेशंस (Cookies and Sessions) :
यही सबसे ज्यादा अहम् भूमिका निभातें हैं आपके डाटा को रखने में | मान लीजिये अपने फेसबुक अपने मोबाइल में खोला तो पहली बार में ये आप से यूजर नाम और पासवर्ड पूछता है और फिर अगली बार के लिए उसे सुरक्षित कर लेता है | इस से हमलोगो को आसानी होती है कि बार बार username और password नहीं देना पड़ता है | ये सब सुचना आपके मोबाइल के कुकीज़ और सेशंस (Cookies and Sessions) में जमा रहती है | अब जरा सोचिये कि अगर किसी साइबर चोर के हाथ आपका ये कुकीज़ और सेशंस (Cookies and Sessions) लग गया तो आपका सारा पासवर्ड यहाँ तक की आपके बैंक की साडी जानकारी भी वो चुरा सकता है | इस सब से बचने के लिए हमेशा सावधान रहें | ऐसे वैसे फालतू विज्ञापन को नहीं खोलें | मोबाइल ब्राउज़र (browser) को incognito mode में खोलें या फिर किसी VPN का इस्तेमाल करें |
एंड्राइड फ़ोन (ANDROID ) :
जब भी आप कोई ऐप(App) install करतें हैं , वह ऐप(App) आपसे बहुत सी अनुमति (permission ) मांगता है | और लगभग हमेशा ही हमलोग बिना सोचे समझे वो सब अनुमति (Permission ) दे देतें है | ऐसा करने से भी हमलोग बुरे फंस सकतें हैं | जैसे कि जिस ऐप (App)अपने किसी ऐप को आपने फोटो और contact access का permission दे दिया , तो अब वह ऐप दुनिया में कहीं से भी और किसी भी समय आपके फोटो और कांटेक्ट को देख और निकल सकता है | आपको यह जानकर हैरानी होगी की प्ले स्टोर में बहोत सारे एप्प (App)तो सिर्फ लोगो की जानकारी चुराने के लिए बनाये जातें हैं |
इसलिए कभी भी एक नए एप्प को इनस्टॉल करते समय इन बातों का जरूर ध्यान रखें
> कोई भी permission देते समय दो बार सोचिये | जैसे अगर आप एक न्यूज़ का एप्प लगा रहे हैं तो उसको आपके फोटो की परमिशन नहीं देना है | परमिशन देना या मना करना आपके अपने हाथ में है सोच समझ कर allow करें |
>इसी तरह हर एक एप्प को अपने location की जानकारी नहीं दें |
>अगर आप के लिए मुमकिन हो तो VPN का इस्तेमाल करें | यह आपके डाटा को पूरी तरह से बचा कर रखता है
>अपने मोबाइल को हमेशा updated रखें |
फिशिंग (Phising ) :
यह साइबर चोरी की भाषा का एक शब्द है | साधारण भाषा में इसका मतलब होता है फ़साना | कैसे ? आईये समझते हैं |
फिशिंग (Phising ) का इस्तेमाल कर के किसी भी वेबसाइट या फिर एप्प का क्लोन बना लिया जाता है |कोई साइबर चोर बिलकुल Facebook जैसा दिखने वाला वेबसाइट बना लेता है फिर उस वेबसाइट के लिंक को वो अलग अलग मासूम लोगों के पास भेजता है | साथ में कुछ ऐसे ऐसे मज़ेदार विज्ञापन लगाता है कि आप उस लिंक को खोले बिना नहीं रह पाएंगे | जब आप उस लिंक को खोलते हैं तो आपको फेसबुक जैसा दिखने वाला वेबसाइट दिखता है |अब जैसे ही कोई भी उस facebook जैसे दिखने वाले वेबसाइट में अपना पासवर्ड डालेगा , आपका सारा डिटेल्स उस साइबर चोर के पास चला जायेगा|
जिस वेबसाइट में हमे एक ताला का निशान बना दिखता है वह सुरक्षित है लेकिन जिसमे नॉट सिक्योर “NOT SECURE” या फिर लाल रंग दिखता है वह सुरक्षित नहीं होता है | इसलिए कभी भी कोई वेबसाइट खोलें तो ध्यान रखें | ख़ास तरह से जब कोई सोशल मीडिया वेबसाइट खोलें जैसे की Facebook तो ध्यान रखें कि लिंक में फेसबुक का ओरिजिनल ही है , कोई फिशिंग वाला नहीं |