बिहार में राइट टू सर्विस एक्ट (आरटीएस) लागू हो जाने के बाद आम जानता की मुश्किलें आसान हो गई है
बिहार में राइट टू सर्विस एक्ट (आरटीएस) लागू हो जाने के बाद आम जानता की मुश्किलें आसान हो गई है क्योंकि सूचना का अधिकार -राइट टू इन्फार्मेशन के प्रयोग में बिहार देश भर में आगे है । अगर आम नागरिक जागरूक है तो सरकारी दफ्तरों में जेब गर्म करने के लिये अब फाइल दबाना आसान नहीं होता है।
बिहार में राइट टू सर्विस एक्ट कानून लागू हो जाने के बाद आम आदमी के रोजमर्रा की जरूरतों संबंधी आवेदनों को लंबे समय तक लटकाए रखने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है । इस कानून का हथियार जनता को मिल जाने के बाद सरकारी दफ्तरों में पैरवी का बोलबाला कम हो गया ।
आम आदमी की समस्याओं,मसलन जाति, आवास, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आय प्रमाण पत्र, बिजली कनेक्शन से लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक प्राप्त करने की समय सीमा निर्धारित कर दी गयी है। समय सीमा का उल्लंघन करने वाले दोषी अधिकारियों से प्रतिदिन 250 रुपये के हिसाब से अधिकतम पांच हजार रुपये तक जुर्माना वसूलने के साथ ही उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई तक करने का प्रावधान है। जाति प्रमाण पत्र, आवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, के लिए बीडीओ को 15 दिन,नया राशन कार्ड के लिए एसडीओ को 60 दिन, वृद्धावस्थ पेंशन के लिए बडीओ को 21 दिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए प्रभारी डाक्टर को 3 दिन,नियुक्ति मामले और चरित्र प्रमाण पत्र के लिए थाना प्रभारी को सात दिन का समय निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन निबंधन, टैक्स माफी और फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए डीटीओ को क्रमश: तीन दिन, सात दिन, 30 दिन और दस दिन की समय सीमा तय की गयी है।