क्योंकि वायरस का नाम सुनने और बताने में अच्छा लगता है
आइए पहले एक काल्पनिक कहानी पढ़ते हैं जो की वास्तविकता पर आधारित है
भारत के दिल्ली शहर में एक खतरनाक वायरस HiMu-hAiwan की पुष्टि की गई है। यह virus बहुत ही पहले समय से अलग-अलग जगह फैलता रहा है। यह वायरस जहां भी जाता है तबाही और बर्बादी ला देता है और उस पूरे आबादी को वीरान और बंजर कर देता है।
जब पहली बार दिल्ली शहर में इस वायरस के पाए जाने की शंका हुई तो लोगों ने इसको हल्के में लिया। हालांकि सब को यह पता था कि अगर सचमुच में यह वायरस आ गया है तो अब कुछ दिनों में ही यह चारों तरफ तबाही और बर्बादी लाएगा। और ठीक कुछ महीनों के अंदर ही पूरी दिल्ली में तबाही और बर्बादी फैल गई। लोगों को अपने घरों को छोड़कर जाना पड़ा। न जाने कितने लोग मारे गए और कितने बच्चे यतीम हो गए और कितनी बहने विधवा हो गई।
HiMu-hAiwan वायरस का अर्थ होता है हिन्दू मुसलमान हो गए हैवान। जी हां अपने बिल्कुल ठीक पढ़ा ये सच में हैवान हीं है, जिन्हें इंसानों का खून पीने के कोई दुख नहीं ।
TheAinak.com के संवाददाता ने अपने सतह पर जांच पड़ताल की तो यह पता किया कि इस वायरस को दिल्ली शहर के कुछ नेता अपने मुंह में भर कर लाए थे और इलेक्शन के स्टेज से लोगों तक पहुंचा दिया। इससे पहले कि आम नागरिक कुछ समझ पाते , इस वायरस को ढोने वाले नेता पहले ही इस वायरस को लोगों में पहुंचा चुके थे । बस अब बचा था वायरस को अपना काम करना और ऐसा ही हुआ।
अगले दिन सुबह जब लोग उठे तो दिल्ली में जितने लोग भी वायरस से ग्रस्त थे सब इंसान के जगह हैवान हो चुके थे। कोई हिंदू उठा तो कोई मुसलमान उठा। वायरस से ग्रस्त इन हैवानों ने न जाने क्या-क्या नहीं लूटा। नाम और मजहब पूछ कर लोगों को जिंदा जला दिया, मार दिया।
यहां तक कि भगवान, ईश्वर का खौफ सब रखते हैं लेकिन इस हैवानियत के वायरस ने इन लोगों को इतना मार दिया था कि इन्हें मस्जिद और मजार जलाने में भी शर्म ना हो। कुछ दरिंदों ने तो यहां तक कहा कि , “हिटलर के गैस चैंबर की जरूरत नहीं, हमलोग तो इन मुल्लों को इनके घर में ही तंदूर जैसा जला देंगे (रिपोर्ट)”
आज कोरोनावायरस का हाहाकार चारों तरफ मचाया जा रहा है जबकि इतने दिनों से फैलने के बाद भी भारत में अभी तक सिर्फ 30 लोगों को कोरोना वायरस होने की पुष्टि की गई है लेकिन वही अगर आप दिल्ली के नरसंहार के आंकड़ों को देखेंगे तो यह आंकड़ा लगभग 2 गुना पहुंच जाएगा ।
साथ ही जो संपत्ति का नुकसान हुआ, घरों में आग लगाया गया, बस्तियां विरान हुई ,यहां तक कि मस्जिद और मजारों को नहीं छोड़ा गया! ये सब आंकरे तो बाद में आएंगे।
आखिर इंसान अपने हैवानियत को वायरस का नाम क्यों नहीं देता? सिर्फ इसलिए क्योंकि दूसरों पर इल्जाम लगाना आसान होता है।