आज 29 फरवरी 2020 को दोहा कतर के एक आलीशान होटल में अमेरिका ने तालिबान से बरा समझौता किया है। इस समझौते के तहत अमेरिकी सैनिकों को 14 महीने के अंदर अफगानिस्तान से निकलना होगा।
सूत्रों की माने तो यह समझौता बहुत ही अहमियत रखता है। इसके बाद अमेरिका को एक लंबे समय से चल रहे युद्ध से विराम मिलेगा और साथ ही साथ तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच संबंध अच्छे होंगे।
इस समझौते में तालिबान की तरफ से मुल्लाह बरादर ने अगुवाई की तथा अमेरिका की तरफ से जालमें खालीजाद मौजूद थे। समझौते के बाद दोनों ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और फिर कमरे का माहौल अल्लाह हू अकबर के नारे से गूंज उठा।
समझौते पर हस्ताक्षर से पहले शाम में अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान के लोगों को संदेश देते कहा किया यह एक अच्छी शुरुआत है नए भविष्य की ओर।
उन्होंने आगे कहा कि अगर तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार समझौते की वादों पर खड़ी उतरती है, फिर यह दोनों पक्षों के लिए अच्छी बात होगी क्योंकि बहुत लंबे समय से चल रहे युद्ध को विराम मिलेगा और उनके अमेरिकी सैनिक घर वापस आ सकेंगे।
इस समझौते के बाद नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री ने काबुल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह कहा कि शांति बहाल करने वाला रास्ता लंबा और कठिन है लेकिन हमें किसी भी हाल में तैयार रहना है, और यह समझौता शांति बहाल करने की ओर पहला कदम है।
आपको बताते चलें 11 सितंबर 2001 हमले के बाद अमेरिका ने तालिबान को खदेड़ने के लिए अफगानिस्तान पर हमला कर दिया था। समय से चल रहा है इस लंबे युद्ध में लगभग अमेरिका 10 खरब से भी ज्यादा अमेरिकी डॉलर खर्च कर चुका । साथ ही दोनों तरफ से बहुत ही ज्यादा नुकसान हुआ है ।एक अनुमान के मुताबिक लगभग 24 सौ अमेरिकी सैनिक शहीद हो चुके हैं लेकिन उसके साथ ही लगभग 10000 से भी ज्यादा अफगानिस्तानी नागरिक इस युद्ध के वजह से मारे जा चुके हैं।