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  • 1980 के मंडल कमीशन रिपोर्ट की 40 सिफारिशो में से 38 पर तो काम भी शुरू नहीं हुआ

    1980 के मंडल कमीशन रिपोर्ट की 40 सिफारिशो में से 38 पर तो काम भी शुरू नहीं हुआ

    द्वितीय पिछड़ा वर्ग आयोग जिसे सब लोग मंडल कमीशन के नाम से भी जानते हैं । साल 1980 में इस आयोग ने अपने 13 अध्याय की रिपोर्ट में कुल 40 सिफारिशें की थी। जाती आधारित बाधाओं को गरीबी और पिछड़ापन का कारण बताने वालो इस रिपोर्ट की ज्यादातर सिफारिशों को अनदेखा ही कर दिया गया। कमीशन ने यह स्पष्ट किया था कि ये जाती आधारित बाधाएं हमारी समाजिक ढांचे से जुड़ी हैं और इन्हें खत्म करने के लिए ढांचागत बदलाओं की जरूरत होगी। इस बदलाव के लिए कमीशन ने नौकरी तथा शिक्षण संस्थाओं में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की सिफारशें की थी।

    आज के देश व्यापी माहौल में आरक्षण की समीक्षा के लिए कोई भी बात छेड़ देता है लेकिन कोई भी इस बात पर बहस को तैयार नहीं होता कि इतने साल के बाद भी अभी भी मंडल कमिशन की सिफारिशों को लागू क्यों नहीं किया गया जबकि कमिशन ने अपने रिपोर्ट में पूरी योजना या सिफारिश लागू करने के 20 साल बाद समीक्षा के लिए भी कहा था।

    यहां कमीशन द्वारा दिए गए सिफारिशों को नीचे दिया जा रहा है जिनके बारे में न तो कोई बहस करता है या फिर कोई संतुष्ट जवाब दे पाता है कि आखिर क्यों आजतक ये लागू नहीं किए गए।

    • खुली प्रतिस्पर्धा(open competition) में मेरिट के आधार पर चुने गए ओबीसी अभ्यर्थियों (OBC candidates) को उनके लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे में समायोजित नहीं किया जाए.
    • ओबीसी आरक्षण सभी स्तरों पर प्रमोशन कोटा में भी लागू किया जाए
    • संबंधित प्राधिकारियों द्वारा हर श्रेणी के पदों के लिए रोस्टर व्यवस्था उसी तरह से लागू किया जाना चाहिए, जैसा कि एससी और एसटी के अभ्यर्थियों के मामले में है
    • सरकार से किसी भी तरीके से वित्तीय सहायता पाने वाले निजी क्षेत्र के सभी प्रतिष्ठानों(fully or partially Govt aided institutions )में कर्मचारियों की भर्ती उपरोक्त तरीके से करने और उनमें आरक्षण लागू करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए.
    • इन सिफारिशों को प्रभावी बनाने के लिए यह जरूरी है कि पर्याप्त वैधानिक प्रावधान सरकार की ओर से किए जाएं, जिसमें मौजूदा अधिनियमों, कानूनों, प्रक्रिया आदि में संशोधन शामिल है, जिससे वे इन सिफारिशों के अनुरूप बन जाएं.
    • शैक्षणिक व्यवस्था का स्वरूप चरित्र के हिसाब से अभिजात्य है. इसे बदलने की जरूरत है, जिससे यह पिछड़े वर्ग की जरूरतों के मुताबिक बन सके.
    • अन्य पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने में सुविधा देने के लिए अलग से धन का प्रावधान किया जाना चाहिए, जिससे अलग से योजना चलाकर गंभीर और जरूरतमंद विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जा सके और उनके लिए उचित माहौल बनाया जा सके.
    • ज्यादातर पिछड़े वर्ग के बच्चों की स्कूल छोड़ने की दर बहुत ज्यादा है. इसे देखते हुए प्रौढ़ शिक्षा के लिए एक गहन एवं समयबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए, जहां ओबीसी की घनी आबादी है. पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिए इन इलाकों में आवासीय विद्यालय खोले जाने चाहिए, जिससे उन्हें गंभीरता से पढ़ने का माहौल मिल सके. इन स्कूलों में रहने खाने जैसी सभी सुविधाएं मुफ्त मुहैया कराई जानी चाहिए, जिससे गरीब और पिछड़े घरों के बच्चे इनकी ओर आकर्षित हो सकें.
    • ओबीसी विद्यार्थियों के लिए अलग से सरकारी हॉस्टलों की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिनमें खाने, रहने की मुफ्त सुविधाएं हों.
    • ओबीसी हमारी शैक्षणिक व्यवस्था की बहुत ज्यादा बर्बादी की दर को वहन नहीं कर सकते, ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि उनकी शिक्षा बहुत ज्यादा व्यावसायिक प्रशिक्षण की ओर झुकी हुई हो. कुल मिलाकर सेवाओं में आरक्षण से शिक्षित ओबीसी का एक बहुत छोटा हिस्सा ही नौकरियों में जा सकता है. शेष को व्यावसायिक कौशल की जरूरत है, जिसका वह फायदा उठा सकें.
    • ओबीसी विद्यार्थियों के लिए अलग से सरकारी हॉस्टलों की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिनमें खाने, रहने की मुफ्त सुविधाएं हों.
    • ओबीसी हमारी शैक्षणिक व्यवस्था की बहुत ज्यादा बर्बादी की दर को वहन नहीं कर सकते, ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि उनकी शिक्षा बहुत ज्यादा व्यावसायिक प्रशिक्षण की ओर झुकी हुई हो. कुल मिलाकर सेवाओं में आरक्षण से शिक्षित ओबीसी का एक बहुत छोटा हिस्सा ही नौकरियों में जा सकता है. शेष को व्यावसायिक कौशल की जरूरत है, जिसका वह फायदा उठा सकें.
    • ओबीसी विद्यार्थियों के लिए सभी वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस में 27 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की जाए, जो केंद्र व राज्य सरकारें चलाती हैं.
    • आरक्षण से प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को तकनीकी और प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस में विशेष कोचिंग की सुविधा प्रदान की जाए.
    • गांवों में बर्तन बनाने वालों, तेल निकालने वालों, लोहार, बढ़ई वर्गों के लोगों की उचित संस्थागत वित्तीय व तकनीकी सहायता और व्यावसायिक प्रशिक्षण मुहैया कराई जानी चाहिए, जिससे वे अपने दम पर छोटे उद्योगों की स्थापना कर सकें. इसी तरह की सहायता उन ओबीसी अभ्यर्थियों को भी मुहैया कराई जानी चाहिए, जिन्होंने विशेष व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है.
    • छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बनी विभिन्न वित्तीय व तकनीकी एजेंसियों का लाभ सिर्फ प्रभावशाली तबके के सदस्य ही उठा पाने में सक्षम हैं. इसे देखते हुए यह बहुत जरूरी है कि पिछड़े वर्ग की वित्तीय व तकनीकी सहायता के लिए अलग वित्तीय संस्थान की व्यवस्था की जाए.
    • पेशेगत समूहों की सहकारी समितियां बनें. इनकी देखभाल करने वाले सभी पदाधिकारी और सदस्य वंशानुगत पेशे से जुड़े लोगों में से हों और बाहरी लोगों को इसमें घुसने और शोषण करने की अनुमति नहीं हो.
    • देश के औद्योगिक और कारोबारी जिंदगी में ओबीसी की हिस्सेदारी नगण्य है. वित्तीय और तकनीकी इंस्टीट्यूशंस का अलग नेटवर्क तैयार किया जाए, जो ओबीसी वर्ग में कारोबारी और औद्योगिक इंटरप्राइजेज को गति देने में सहायक हों.
    • सभी राज्य सरकारों को प्रगतिशील भूमि सुधार कानून लागू करना चाहिए, जिससे देश भर के मौजूदा उत्पादन संबंधों में ढांचागत एवं प्रभावी बदलाव लाया जा सके.
    • इस समय अतिरिक्त भूमि का आवंटन एससी और एसटी को किया जाता है. भूमि सीलिंग कानून आदि लागू किए जाने के बाद से मिली अतिरिक्त जमीनों को ओबीसी भूमिहीन श्रमिकों को भी आवंटित की जानी चाहिए.
    • कुछ पेशेगत समुदाय जैसे मछुआरों, बंजारा, बांसफोड़, खाटवार आदि के कुछ वर्ग अभी भी देश के कुछ हिस्सों में अछूत होने के दंश से पीड़ित हैं. उन्हें आयोग ने ओबीसी के रूप में सूचीबद्ध किया है, लेकिन सरकार द्वारा उन्हें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने पर विचार करना चाहिए.
    • पिछड़ा वर्ग विकास निगमों की स्थापना की जानी चाहिए. यह केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर किया जाना चाहिए, जो पिछड़े वर्ग की उन्नति के लिए विभिन्न सामाजिक-शैक्षणिक और आर्थिक कदम उठा सकें.
    • केंद्र व राज्य स्तर पर पिछड़े वर्ग के लिए एक अलग मंत्रालय/विभाग बनाया जाना चाहिए, जो उनके हितों की रक्षा का काम करे.
    • पूरी योजना को 20 साल के लिए लागू किया जाना चाहिए और उसके बाद इसकी समीक्षा की जानी चाहिए.

    इन सिफारिशों के अलावा मंडल कमीशन ने रिपोर्ट के प्रारंभ में ही कहा था कि जातियों के आंकड़े न होने के कारण उसे काम करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. इसलिए अगली जनगणना में जातियों के आंकड़े भी जुटाए जाएं.

    आरक्षण का विरोध और मंडल आयोग के तर्क
    आरक्षण लागू किए जाने के विरोध को लेकर भी आयोग सतर्क था. अभी जिन तर्कों के साथ आरक्षण का विरोध किया जाता है, वही सब तर्क शुरुआत से रहे हैं. इन तर्कों पर अपनी सिफारिशों में आयोग ने कहा, ‘निश्चित रूप से यह सही है कि ओबीसी के लिए आरक्षण से तमाम अन्य लोगों का कलेजा दुखेगा. लेकिन क्या इस तकलीफ के कारण हम सामाजिक सुधार के नैतिक दायित्व को छोड़ सकते हैं? जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा था, तब भी तमाम लोग ऐसे थे, जिनका दिल दुखा था. दक्षिण अफ्रीका में जब काले लोग दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो सभी श्वेतों का कलेजा सुलगता है. अगर भारत में उच्च जातियों की 20 प्रतिशत से भी कम आबादी शेष आबादी पर सामाजिक अन्याय करती है तो निश्चित रूप से निचली जातियों का कलेजा सुलगता है. लेकिन अगर निम्न जातियां ताकत और सम्मान के राष्ट्रीय केक में से एक छोटा सा टुकड़ा मांग रही हैं तो यह सत्तासीन वर्ग के लोग यह दलील दे रहे हैं कि इससे असंतोष होगा. पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण के खिलाफ ‘असंतोष’ को लेकर जो तमाम भारी भरकम तर्क आ रहे हैं, वह सरासर कुतर्क हैं.’

    आरक्षण का लाभ कुछ जातियों तक सिमट जाने का तर्क
    मौजूदा समय में एक बड़ा तर्क यह भी दिया जाता है कि कुछ जातियां आरक्षण का पूरा लाभ ले रही हैं. शेष पिछड़ा वर्ग वंचित रह जा रहा है. इस तर्क का जवाब भी मंडल कमीशन ने देते हुए अपनी सिफारिशों में लिखा है, ‘इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि आरक्षण व कल्याणकारी कदमों का ज्यादा लाभ उन लोगों को होगा, जो पिछड़े समाज में ज्यादा आगे हैं. लेकिन क्या यह सार्वभौमिक लक्षण नहीं है? सभी सुधारवादी उपचार पदानुक्रम में धीरे धीरे होते हैं, सामाजिक सुधार में कोई अचानक उभार (क्वांटम जंप) नहीं होता. कमोबेश मानव स्वभाव रहा है कि वर्ग विहीन समाज में भी आखिरकार एक ‘नया वर्ग’ उभरकर सामने आता है. आरक्षण का मूल लाभ यह नहीं है कि ओबीसी में समतावादी समाज उभरकर सामने आएगा, जबकि पूरा भारतीय समाज असमानताओं से भरा पड़ा है. लेकिन आरक्षण से निश्चित रूप से ऊंची जातियों का सेवाओं में कब्जा खत्म होगा. मोटे तौर पर ओबीसी देश के शासन प्रशासन में थोड़ी हिस्सेदारी प्राप्त कर सकेंगे.’

    आरक्षण से किसे लाभ हुआ?
    इस समय यह बात अक्सर उठती है कि आरक्षण लागू होने पर भी पिछड़े वर्ग को क्या लाभ हुआ. अब तो पिछड़े वर्ग से जुड़े लोग भी कहने लगे हैं कि आरक्षण का कोई लाभ नहीं है. इससे कोई अगड़ापन नहीं आ गया है. यह तर्क भी पुराना है, जिसका जवाब मंडल कमीशन ने अपनी सिफारिश में की है. आयोग ने कहा, ‘हमारा यह दावा कभी नहीं रहा है कि ओबीसी अभ्यर्थियों को कुछ हजार नौकरियां देकर हम देश की कुल आबादी के 52 प्रतिशत पिछड़े वर्ग को अगड़ा बनाने में सक्षम होंगे. लेकिन हम यह निश्चित रूप से मानते हैं कि यह सामाजिक पिछड़ेपन के खिलाफ लड़ाई का जरूरी हिस्सा है, जो पिछड़े लोगों के दिमाग में लड़ी जानी है. भारत में सरकारी नौकरी को हमेशा से प्रतिष्ठा और ताकत का पैमाना माना जाता रहा है. सरकारी सेवाओं में ओबीसी का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर हम उन्हें देश के प्रशासन में हिस्सेदारी की तत्काल अनुभूति देंगे. जब एक पिछड़े वर्ग का अभ्यर्थी कलेक्टर या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक होता है तो उसके पद से भौतिक लाभ उसके परिवार के सदस्यों तक सीमित होता है लेकिन इसका मनोवैज्ञानिक असर बहुत व्यापक होता है.’

    मंडल आयोग पर ईमानदारी से नहीं हुआ अमल
    मंडल आयोग की सिफारिशों को देखें तो इसके सिर्फ दो बिंदुओं पर कुछ हद तक काम हुआ है. वह है केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी को 27 परसेंट आरक्षण और दूसरा, केंद्र सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों के एडमिशन में ओबीसी का 27 परसेंट आरक्षण. बाकी सिफारिशों पर तो काम भी शुरू नहीं हुआ है. मंडल कमीशन की सिफारिशों पर बेमन से काम करने का परिणाम यह हुआ कि अब तक भारत के शोषणकारी सामाजिक ढांचे में बदलाव नहीं हुआ.

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  • बिहार सरकार के गृह विभाग ने lockdown  के 31 मई 2020 तक विस्तारित होने पर आज दिनांक 18 मई को यह दिशा निर्देश निर्गत किया है

    बिहार सरकार के गृह विभाग ने lockdown के 31 मई 2020 तक विस्तारित होने पर आज दिनांक 18 मई को यह दिशा निर्देश निर्गत किया है

    इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि भारत सरकार ने COVID 19 के कारण LockDOwn विस्तारित होने पर दिशा निर्देश दिया है जिसकी वजह से राज्य की सरकारें परिस्थितियों को देखते हुए अलग-अलग शर्तों के साथ अपने क्षेत्रों में कुछ और गतिविधियों पर भी रोक लगा सकती हैं

    • जैसा कि वर्तमान समय में प्रवासी श्रमिकों की बड़ी संख्या बाहर से आ रही है जिसके कारण राज्य में COVID-19 के संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है इसी वजह से बिहार सरकार ने राज्य के स्तर पर यह नीचे दिए गए आदेश जारी किए हैं
      • क्योंकि राज्य के बाहर से और विशेषकर अन्य राज्यों के रेड जोन से आने वाले प्रवासी श्रमिकों की बड़ी संख्या में प्रखंड स्तरीय क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है अतः सभी प्रखंड मुख्यालय (जिला मुख्यालय को छोड़कर) रेड जोन के रूप में चिन्हित एवं घोषित किए जाएंगे प्रखंड मुख्यालय के सभी रेड जोन में केवल उन्हीं सामग्रियों की दुकानें खोलने की अनुमति होगी जिनका स्पष्ट निर्धारण गृह विभाग के आदेश द्वारा किया जा चुका है उपरोक्त शर्तों के साथ रेड जोन में वही सारी गतिविधियां मान्य होंगी जो भारत सरकार के द्वारा निर्धारित की गई हैं
      • सभी कंटेनमेंट जोन में भारत सरकार के द्वारा लगाए गए सभी प्रतिबंध यथावत लागू रहेंगे
        सभी कंटेनमेंट जून एवं सभी प्रखंड मुख्यालय रेड जोन को छोड़कर राज्य के सभी शेष क्षेत्र एक समान समझे जाएंगे और उन क्षेत्रों में भारत सरकार के आदेश संख्या के द्वारा अनुमानित गतिविधियां की जा सकेंगी

        • कंटेनमेंट जोन और रेड जोन से बाहर सभी प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं कपड़ा की दुकान तथा रेडीमेड वस्त्र दुकान सहित को नियंत्रित ढंग से खोला जाएगा ताकि अत्याधिक भीड़ ना हो किसी एक स्थान पर स्थित अनेक दुकानों को बारी-बारी से सप्ताह के अलग-अलग दिन अथवा अलग-अलग समय पर खोलने का आदेश संबंधित जिला पदाधिकारी निर्गत करेंगे ग्राहकों के लिए अनिवार्य होगा कि वे अपने आवासीय क्षेत्र के निकट दुकानों में से खरीदारी के लिए जाएं और उन्हें दूर के दूसरे क्षेत्रों में स्थित दुकानों में खरीदारी हेतु जाने की अनुमति नहीं होगी
        • ओला उबेर तथा अन्य टैक्सी मात्र चिकित्सीय कारणों से तथा विशेष रेलगाड़ियों के यात्रियों के लिए रेलवे स्टेशन तक जाने और आने के लिए मान्य होगा
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  • औद्योगिक प्रशिक्षण (ITICAT), डिप्लोमा सर्टिफिकेट (DCECE) -2020 का फॉर्म भरना भूल तो नहीं गए

    औद्योगिक प्रशिक्षण (ITICAT), डिप्लोमा सर्टिफिकेट (DCECE) -2020 का फॉर्म भरना भूल तो नहीं गए

    लौक डाउन में कहीं आप औद्योगिक प्रशिक्षण, डिप्लोमा सर्टिफिकेट का फॉर्म भरना भूल तो नहीं गए। https://bceceboard.bihar.gov.in/ के साइट पे अंतिम तिथी बढ़ा दी गई है फॉर्म भरने की। अंतिम तिथि 24-05-2020 कर दी गई है|

    दसवीं और इंटर पास या इस बार एग्जाम दिए विद्यार्थियों को जरूर इसका लाभ लेना चाहिए।https://bceceboard.bihar.gov.in/ नोटिस बोर्ड को देखे फार्म भरने की तारीख में बदलाव के लिए |

    औद्योगिक प्रशिक्षण clik link for detail 

    डिप्लोमा सर्टिफिकेट click link for detail 

    डिप्लोमा सर्टिफिकेट lateral click link for detail 

    परीक्षा की तैयारी कैसे करे इसके लिए कमेंट सेक्शन में लिखे हम आपकी गाइडेंस करने में खुशी महसूस करेंगे।

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  • #BREAKING; मुजफ्फरपुर में कोरोना ने दी दस्तक, 3 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले…

    #BREAKING; मुजफ्फरपुर में कोरोना ने दी दस्तक, 3 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले…

    #BREAKING; मुजफ्फरपुर में कोरोना ने दी दस्तक, 3 कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले…

    मुजफ्फरपुर जिले में भी करोना ने दस्तक दे दी है, SKMCH अधीक्षक डॉ सुनील कुमार शाही ने मरीजों के पॉजिटिव मिलने की पुष्टि की है।। बताया जा रहा है कि तीनों पॉजिटिव मरीज मुशहरी इलाके के है।।
    आपको बता दे की इसके पूर्व बिहार में शनिवार को कोरोना के और तीन मरीज मिले चुके हैं। पहला मरीज शेखपुरा के शेखोपुरसराय का मिला है तो वहीं दो मरीज अरवल जिले के कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। शेखपुरा में यह दूसरा कोरोना पोजिटिव मिला है जो सूरत से आया है और जिले के एक स्कूल में बने क्वारनटाईन सेंटर में रह रहा था। पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने के बाद इसे शेखपुरा के ही आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। इसके साथ रह रहे अन्य लोगों की भी जांच कराई जाएगी। मेडिकल टीम ट्रैवेल हिस्ट्री पता कर रही।

    शेखपुरा जिले में 28 अप्रैल को पहला केस सामने आया था। युवक मुंबई से लौटा था। वह शेखपुरा के ही आईसोलेशन वार्ड में भर्ती है। परसों उसकी दूसरी जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई है। सिविल सर्जन ने कहा कि अगर तीसरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई तो युवक को इलाज के लिए पटना भेजा जाएगा।
    पिछले 24 घंटे में कुल 32 नए मरीज मिले हैं, जिसके बाद मरीजों की कुल संख्या 582 हो चुकी है। अबतक पांच मरीजों की कोरोना से मौत हो गई है। राज्य के 38 जिलों में अबतक 36 जिलों में कोरोना ने अपने पैर पसार लिए हैं। हालांकि इससे संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है।

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  • एसकेएमसीएच में ए ई एस (चमकी बुखार) से पीड़ित चौथे बच्चे की भी मौत, जानिए इलाज की स्थिति

    एसकेएमसीएच में ए ई एस (चमकी बुखार) से पीड़ित चौथे बच्चे की भी मौत, जानिए इलाज की स्थिति

    एसकेएमसीएच में एईएस से पीड़ित चौथे बच्चे की भी मौत, जानिए इलाज की स्थिति

    मुजफ्फरपुर । मौसम में नमी के बावजूद जिले में एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) का कहर जारी है। एसकेएमसीएच में भर्ती वैशाली जिले के पातेपुर रसूलपुर निवासी रामरतन राय की पुत्री जूली कुमारी की मौत शनिवार को हो गई। उसे गुरुवार को भर्ती कराया गया था। मौत के बाद आई रिपोर्ट में एईएस की पुष्टि हुई। इसके पूर्व अप्रैल में मुजफ्फरपुर के रुसनपुर चक्की निवासी मौसम कुमारी व उसकी जुड़वा बहन सुकी कुमारी तथा मार्च में सकरा प्रखंड के बाजी बुजुर्ग निवासी आदित्य कुमार की मौत हो चुकी है।
    21 बच्चों को भर्ती कराया जा चुका

    अब तक इस सीजन में एईएस पीड़ित 21 बच्चों को भर्ती कराया जा चुका है। इनमें मुजफ्फरपुर के नौ, पूर्वी चंपारण के आठ, वैशाली के दो और शिवहर व सीतामढ़ी जिले के एक-एक बच्चे हैं। 12 स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। पांच का इलाज पीआइसीयू वार्ड में चल रहा है।

    इन बच्चों का चल रहा इलाज

    मोतिहारी की चंचल कुमारी, पकड़ीदयाल की गुडिय़ा कुमारी, हरसिद्धि की मीनाक्षी कुमारी, मुजफ्फरपुर के औराई की रीतिमा और देवरिया के मनीष कुमार का इलाज चल रहा है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील शाही ने बताया कि बच्चों की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है।

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  • मधुबनी में हुई तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि भी,हुआ काफी नुकसान

    मधुबनी में हुई तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि भी,हुआ काफी नुकसान

    अभी-अभी प्राप्त सूचना के आधार पर मधुबनी जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल स्थित एरुआ गांव में काफी तेज बारिश के साथ बहुत ही ज्यादा ओलावृष्टि हुआ। देखिए कितने बड़े बड़े आकार के पत्थर (ओले) आज गिरे।

    अभी अभी बारिश हुई है और ऐसे बड़े बड़े पत्थर पड़े है जो तकरीबन आधा किलो से ज्यादा वजन का है

    तेज बारिश तथा साथ ही जोरदार हुए ओलावृष्टि से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। प्राप्त सूचना के अनुसार काफी पेड़ पौधे और फसल को क्षति पहुंची है । आसमान से गिरने वाले इन पत्थरों का आकार इतना बड़ा था कि बहुत सारे पक्के मकान के छतों में भी टूट फुट हो गई है।

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  • बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर, एक अबूझ पहेली

    बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर, एक अबूझ पहेली


    सिंबल ऑफ नॉलेज बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति केएक दलित परिवार में हुआ वे अपने माता-पिता के 14 वे संतान थे वर्तमान में उस जिला का नाम अंबेडकर नगर है

    बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में यह कहा था किया संविधान कितना भी अच्छा क्यों ना हो लेकिन इसको अमल में लाने वाले अगर अच्छे नहीं हो तो उनको बहुत सारी कमियां संविधान में नजर आएंगी
    यह बाबा साहेब की विद्युता और दूरदर्शिता थी कि उन्होंने उसी समय समझ लिया था जो आज देखने में आ रहा है जो अपने बौद्धिकता को संविधान से ऊपर समझ रहे हैं

    बाबासाहेब ने असहनीय दुखों का सामना किया लेकिन अपनी पढ़ाई जारी रखी जिस समय उनका दाखिला एलीफेंटर्न स्कूल में हुआ था उस समय के वह पहले दलित है जिनका दाखिला उस विद्यालय में हुआ था और छुआछूत इतने चरम पर था कि उनको विद्यालय से निकाल कर बाहर फेंक दिया जाता था विद्यालय में बैठने नहीं दिया जाता पानी पीने के लिए भी उनको ग्लास नहीं दिया जाता था तथा जिस दिन विद्यालय का चपरासी नहीं आता था उनको दिन दिन भर बिना पानी पिए हुए ही रहना पड़ता था और यह वही तक सीमित नहीं रहा बल्कि बाबासाहेब जब अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी करके और भारत लौटे तब उनको‌ बरोदा के जो राजा थे उनके आग्रह पर एक उच्च पद ग्रहण किया लेकिन वहां भी उनको उस गिलास में पानी नहीं दिया जाता था जिसमें दूसरे अधिकारी पानी पीते थे तथा जो वहां के चपरासी थे वह भी अपने आप को उच्च वर्ग का होना समझ कर और उनको पानी नहीं पिलाया करते थे

    जब बाबासाहेब उस विद्यालय से चौथी क्लास पास किए थे तब दलित समाज के द्वारा उनको बहुत सारे उपहार दिए गए थे जिसमें बुद्ध की प्रतिमा भी थी परिस्थिति देखिए की एक दलित बच्चा चौथी क्लास पास करता है तब जश्न मनाया जाता है लेकिन आज बाबासाहेब के द्वारा ही दी गई व्यवस्था के तहत लाखों लोग पीएचडी तक की डिग्रियां लेते हैं फिर भी कोई जश्न नहीं होता और ना ही वह कमाल कर पाते हैं जो बाबासाहेब ने किया

    बाबासाहेब केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका तथा ब्रिटेन के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट किया
    उनकी पकड़ भारतीय भाषाओं के अलावा जर्मन फ्रेंच अंग्रेजी पर भी सामान्य रूप से थी
    तथा उनके विद्युता की ख्याति विदेश के विद्वानों में भी थी
    इन्हीं कारणों से जब भारतीयो को संविधान बनाने के लिए अंग्रेज शासन के द्वारा कहां गया तब भारत के सत्ताधीसो ने देश विदेश के अनेकों विद्वान से भारत की संविधान निर्माण में योगदान के लिए कहा तब उन्हें विदेशी विद्वानों के द्वारा भी बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम सुझाया गया लेकिन देश के जातिवाद के पूर्वाग्रहों से ओतप्रोत तथाकथित विद्वानों ने उनको संविधान सभा में लेने से इनकार किया
    #तब के कांग्रेस के अध्यक्ष सरदार पटेल ने यह कहा कि संविधान निर्माण की प्रक्रिया में अंबेडकर के लिए दरवाजे ही नहीं बल्कि खिरकिया भी बंद कर दी जाएगी#)
    तब बाबा साहब ने अपने विद्युता का परिचय देते हुए मुस्लिम लीग के सहयोग से बंगाल के फरीदाबाद से संविधान सभा के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जितने भी प्रत्याशी विजई हुए थे संविधान सभा के लिए उनमें सभी से ज्यादा मतों से विजय प्राप्त किया
    और उसी जीत का खामियाजा वहां के कंसिस्टेंसी के 55 परसेंट हिंदुओं की आबादी वाले उस कंसिस्टेंसी को बंटवारे के समय पाकिस्तान के हिस्से में दे दिया गया और वहां के जो प्रीवी काउंसिल के मेंबर थे जो देश के एकमात्र बैरिस्टर दलित नेता थे जो बाद में पाकिस्तान के कानून मंत्री बने

    बाबासाहेब ने कई किताबें लिखी हैं उनको हम सभी को पढ़ने की आवश्यकता है बाबा साहेब का जब देहावसान हुआ था उस समय उनके लाइब्रेरी में लगभग देसी और विदेशी भाषाओं को मिलाकर 50,000 पुस्तके थी जो दुनिया के किसी भी व्यक्ति के निजी लाइब्रेरी में नहीं थी

    साथियों हमको बाबासाहेब को पूजने से ज्यादा उनके बताए हुए रास्ते पर चलना होगा तथा उनके संघर्षों को अपने जीवन में भी उतारना होगा यही बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को समर्पित सच्ची श्रद्धांजलि होगी
    ///The father of constitution Doctor Bheemrav Ambedkar///

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  • “जान भी और जहान भी”:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज फिर करेंगे देशवासियों को संबोधित

    “जान भी और जहान भी”:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज फिर करेंगे देशवासियों को संबोधित

    लॉक डाउन 2.0 और इस से संबंधित बातों पर आज 14 अप्रैल, मंगलवार सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी समस्त देशवासियों को एक बार फिर से संबोधित करेंगे।

    इस कोरोनावायरस महामारी में दुनिया का हर एक देश बहुत ही कठिनाई से जूझ रहा है। भारत सरकार ने भी इस महामारी के फैलने पर लगाम लगाने के लिए पहले ही 21 दिनों को देशव्यापी लॉकडॉउन किया था। और इस लॉकडाउन से काफी मदद भी मिली। एक दो हल्के फुल्के अपवाद को अगर छोड़ दिया जाए तो पूरे देश के लोगो ने सरकार का साथ दिया है महामारी से लड़ने में।

    प्रधानमंत्री के द्वारा अगर दूसरे चरण के लाकडाउन का ऐलान होता है तो उसका मूल मंत्र होगा “जान भी जहान भी”, सभी लोगों की निगाहें उनके संबोधन पर टिकी हैं क्योंकि इसमें अपने देश की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कुछ क्षेत्रों में छूट की भी उम्मीद लगाई जा रही है।

    ऐसा अनुमानित है कि जिन क्षेत्रों में इस महामारी का प्रभाव नहीं है वहां छूट मिलेगी ताकि अपने देश की रूकी हुए आर्थिक स्थिति को बढ़ावा मिल सके।

    दूसरे चरण की lockdown रूपरेखा बनाई गई है उसमें कोरोना के प्रभाव के लिहाज से देश को तीन अलग अलग क्षेत्रों लाल, पीला और हरा जोन में बांटा गया है। रेड जोन में जहां कोरोना महामारी का संकट है वहां लॉकडाउन के साथ हॉट स्पॉट के इलाकों को सील रखा जाएगा। वहीं ऐलो अर्थात पीले जोन में जहां कोरोना के मामले ज्यादा नहीं हैं वहां लॉकडाउन के साथ आवश्यक और सीमित आर्थिक गतिविधियों की इजाजत दी जा सकती है। जबकि हरा अर्थात ग्रीन जोन जहां कोरोना का कोई असर नहीं है उसे संक्रमण से बचाए रखने के उपायों के साथ आर्थिक गतिविधियों को स्थानीय स्तर पर जारी रखने की छूट का प्रस्ताव है। अब देखना ये होगा कि आज के संबोधन में किन अहम बिंदुओं पर चर्चा की जाती है।

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  • IIT मुंबई के सोधकर्ताओ ने बनाया स्मार्ट Stethoscope ,पेटेंट हुई तकनीक से बिना मरीज के पास गए भी सुनाई देगी धड़कन

    IIT मुंबई के सोधकर्ताओ ने बनाया स्मार्ट Stethoscope ,पेटेंट हुई तकनीक से बिना मरीज के पास गए भी सुनाई देगी धड़कन

    IIT मुंबई के सोधर्ताओ की टीम ने इस SMART Stethoscope यन्त्र को बनाकर अपने देश का नाम रौशन किया है और साथ ही अभी कोरोनावायरस सें जूझ रहे पूरी दुनिया को और खासकर डॉक्टरों को इस तकनीक से बहुत ही ज्यादा सुरक्षा मिलेगी क्योंकि अब दिल की धड़कन को मापने के लिए मरीज के पास जाने की बिल्कुल जरूरत।नहीं।

    यह डिजिटल आला (Stethoscope )मरीजो की धड़कन को सुनेगा और रिकॉर्ड भी करेगा और साथ ही साथ ब्लूटूथ के माध्यम से दूर तक डॉक्टरों तक पहुंचाएगा। अभी हाल के कोरोनावायरस संक्रमण के माहौल में यह यंत्र किसी वरदान से कम साबित नहीं होगा क्योंकि डॉक्टर मरीजों से दूरी बना कर भी उनके दिल को धड़कन सुन सकेंगे और संक्रमण से बच सकेंगे।

    इस स्मार्ट आला (Stethoscope) को बनाने में रिलायंस हॉस्पिटल और हिंदुजा हॉस्पिटल के डॉक्टरों की सलाह और परामर्श का ध्यान रखा गया । अभी लगभग 1000 ऐसे स्मार्ट आला को देश के अलग अलग हॉस्पिटल में भेजा गया है।

    कोरोनावायरस के मरीजों के फेफरों को आवाज सुन ने के लिए भी डॉक्टर अभी तक एक साधारण आला (Stethoscope) का इस्तेमाल करते थे जिस से उन को खुद के संक्रमण का खतरा रहता था लेकिन अब ऐसा स्मार्ट आला मिल जाने से डॉक्टर अपनी खुद की सुरक्षा कर सकेंगे।

    इस स्मार्ट आला को सिर्फ सुना ही नहीं बल्कि देखा भी का सकेगा क्योंकि यह आला आवाज को ग्राफ में बदल सकेगा जिसे किसी भी स्मार्ट फोन में देखा जा सकेगा।

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  • मुजफ्फरपुर के इस मुहल्ले में नहीं हुआ DISINFECTANT छिरकाव, क्योंकि वार्ड पार्षद जी को यहां से वोट नहीं मिला था!

    मुजफ्फरपुर के इस मुहल्ले में नहीं हुआ DISINFECTANT छिरकाव, क्योंकि वार्ड पार्षद जी को यहां से वोट नहीं मिला था!

    जी हां, एक बार दुबारा पढ़िए और सोचिए की कैसी कैसी सोच वाले लोग हैं दुनिया में। Muzaffarpur Bihar के एक मुहल्ले में इस जानलेवा CORONA VIRUS से बचाव हेतु छिरकाव सिर्फ इसलिए नहीं कराया गया क्योंकि वार्ड पार्षद जी को लगता है कि इस मुहल्ले वालों ने उन्हें वोट नहीं दिया था।

    जब पूरी दुनिया इस CORONA वायरस और महामारी से तबाह हो रही है और सभी लोग एक साथ मिलकर कैसे भी इस COVID 19 आपदा से निपटने का उपाय लगा रहें है वहीं कुछ ऐसे भी तुच्छ सोच रखने वाले लोग है कि वोट का बदला लेने का मौका तलाश रहे हैं। अब कौन समझाए कि कोरोनावायरस वोट देख कर नहीं फैलेगा।

    मामला मुजफ्फरपुर स्थित माड़ीपुर के हमजा कॉलोनी WARD NO-8 का है। अपना नाम नहीं बताने कि शर्त पर theAinak.com से बात करते हुए उस मुहल्ले के वासियों ने बताया कि छिरकाओ करने स्वयं वार्ड पार्षद के सुपुत्र घूम रहे थे और जब हमजा कॉलोनी पहुंचे तो वहीं से वापस लौट लिए बिना छिरकाव कराए। जब मुहल्ले वालों ने इस बात की जानकारी लेने कि कोशिश की तो ऐसा सुनने को मिला कि इस मुहल्ले से पार्षद जी को वोट नहीं मिला था।

    अब कौन समझाए की कोरोनावायरस वोट देखकर तो बिल्कुल नहीं फैलता और अगर सच में ऐसा हुआ है तो सिर्फ इस भूल कि वजह से पूरे मुजफ्फरपुर वासियों की जान को खतरा हो सकता है।

    अभी भारत में लगातार इस महामारी के संक्रमण को बढ़ता देख कर माननीय प्रधामंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन को बढ़ाने तक का संकेत दे दिया है। आपको बताते चले की इस महामारी के मरीजों को संख्या 9300 के उपर जा चुकी है और मरने वालो कि संख्या 330 पहुंच चुकी है।

    अगर सच में हमलोगो को इस महामारी से जीतना है तो एक होकर और ऐसी तुच्छ राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। और अगर ऐसी भूल हुई है तो उसे सुधार करने की जरूरत है। इस मामले कि तुरंत संज्ञान लेने की जरूरत है।

    इस कठिन परिस्थिति में एकजुट होकर सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें। स्वयं तथा अपने परिवार की सुरक्षा के लिए लॉक डाउन का पूर्ण रूप से पालन करें।

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